जग में भेद भाव है
आबोहवा में
मनु्ष्य मनुष्य मे
मन के विचारों में
अभिव्यक्ति की बोली में
आहार में आकार में
गर्मी. ठंड आदि में तो
समानुभव।
दया ममता संतानोत्पत्ती की भावना में
ईसाई हिंदु के संभोग में भी संतान।
मुगल हिंदु के संभोग में भी संतान
संतान भाग्य धर्मों से परे
माया ममता दया मातृप्रेम सम।
यह ईश्वर की लीला अद्भुत।
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