आजकल की बडी चर्चा तमिळ विजय टि ।वी। में ""तू तू --मैं-मैं- कार्य क्रम में गोपीनाथ जी नारीयो की पोशाक
और नर की मनःस्थिती पर .उसमें पुरुष अपनी युवावस्था
में नारीयों की हंसी-उडाना ही पुरुषत्व बोल रहे थे।
उनके विचार में आत्मसंयम,ईन्द्रिय नियंत्रण,मनुष्यत्व
नारी के प्रति श्रद्धा या मर्यादा का भाव नहीं .
युवक का हक युवतीयोम हक एक दुसरे को हंसी उडाना।
याह तो उम्र की उत्तेजना।
तब तो eve teasing kee शिकायातेम बेकार ही है .
एक लडकी से तो पू छा तो उस ने कहां कि हम में अधिक ल्द्को का छेड -छा ड चाहती है .
याह तो जमाना अजीबो;गरीब .
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