Wednesday, December 2, 2020

भगवान याद आते हैैं

 नमस्ते नमस्ते वणक्कम।

 तब भगवान याद आते हैं,

जब डाक्टर ऊपर हाथ दिखाकर

 प्राण बचाने की आशा  निराशा कर देते हैं।

करोड़ों की पूंजी  रात दिन  मेहनत 

वह चित्रपट की असफलता 

  याद दिलाती है  भगवान  की।।

सैकड़ों हजारों के खर्च,

गली गली घूम ना, हर मनुष्य के सामने हाथ जोड़ना,

चुनाव में हार जीत याद दिलाती है भगवान।

कम पूंजी करोड़ों लाभ भुला देती भगवान की याद।।

 भक्ति काल के राधाकृष्णन,

भव बाधा दूर करो राधा  

रीतिकालीन कवियों को

श्रृंगार अश्लीलता तब भूल जाते हैं भगवान को।

वीरगाथाकाल,रीतिकाल  दोनों

बना दिया भारत को गुलाम।

 वीरगाथाकाल में मुगल आगमन।

हिंदू गुलाम।

रीतिकाल में अंग्रेजों के आगमन

फ्रांसीसी आगमन दोनोें गुलाम।

आजादी के बाद  

नौ करोड़ की काली विघ्नेश्वर की मूर्त्तियां 

बनाकर विसर्जन के नाम अपमान।

गिरिजा घर, मस्जिद की संख्या अधिक।

 ईश्वर का सम्मान नहीं,ईश्वर के विसर्जन ,

पैर से धक्का देता, नहीं समझता ईश्वर का शाप

अपनाते हैं हिंदु।

तभी एक शैतानियां शक्ति ओवैसी का नारा

पंद्रह मिनट का समय भारत मुगल देश।।

तब याद आती है भगवान की।

 स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।।

 कबीर 

दुख में सुमिरन सब करें सुख में करै न कोय।

सुख में सुमिरन सब करें तो दुख काहे को होय।।

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