Thursday, July 4, 2019

सुमन

मंच को प्रणाम।
सुमन में उठते
शुभ  विचार।
सुयुक्ति,सद्भावनाएँ।
फूल खिलते सुगंध फैलाते, सूख जाते।
सुमन में  खिले विचार,
पीढी दर पीढी,
सन्मार्ग, सुमार्ग दिखाते।
सुमन संगति का फल।
सुमन  प्रकृति  की देन।
प्रकृति  सुमन को
सुगंधित इत्र  बनाना,
चतुर सुमन में उदित  विचार ।
फूल  से विकसित फल,
फल से उत्पन्न  बीज,
वनस्पति  विकास  की
ईश्वरीय देन।
सुमन में  विकसित
फल है सद्विचार।
वह मानवीय  शांति  संतोष  का मूल।
सुमन  मानव शक्ति प्रदान करना
   महानों की देन।
सुमनों की  सत्संगति
आत्मानंद, आत्मसम्मान, आत्म संतोष,
विश्व बंधुत्व का मूल।
स्वरचित स्वचिंतक = अनंतकृष्णन ।(मतिनंत)।

No comments: