Thursday, June 23, 2016
श्री रंगनाथ .அரங்கனே அடைக்கலம்.
Monday, June 20, 2016
இந்திய குழந்தைகளே!
விஸ்வநாத்,ஜகன்னாத்,அல்லா,ஏசு
அன்பிற்கு வசமாவர்.
Friday, June 10, 2016
प्रार्थनाएँ
सुप्रभात ।
सुख की कामना है धनियों की।
खुराक की माँगें हैं निर्धनों की।
बेकारों की माँग है नौकरी की।
रोगी की माँग है चंगा होने की।
हर एक की माँगें अपनी अपनी इच्छा की।
साधु ओं की माँगें हैं
सर्वे जना सुखिनो भवंतु ।
वही कामना के साथ ,
सब को मेरा प्रणाम।
Thursday, June 9, 2016
अब पछताते होत क्या ?
क्या जीवन है ईश्वर ध्यान।
करतल भिक्षा तरुतल वासा।
मठ भोजन मठ निद्रा।
हरिदासों का दास बन जीना क्या जीना।
लौकिक आनंद जितना,
शादी संतानों का आनंद।
वातानुकूल गाडी कमरा।
पाँच नक्ष्त्र होटल वह अर्द्ध नग्न नाच।
दैख। दुनिया में आनंद का उमड।
देखा ! अचानक सर के आधे बाल का लापता।
जवानी के जोश का लापता।
शरीर की शिथिलता, गालों की झुर्रियाँ।
आहा!हमें पूर्वजों ने भक्ति भजन का नाच सिखाया।
तुलसीदास का जीवन में उनकी पत्नी का
हाड माँस सडने शरीर प्रेम छोड,
परमात्मा के ध्यान में लग।
तभी संत तिरुवल्लुवर की याद आयी,
सीखो। बगैर कसर के सीखो। सीखी हुई बात का करो
अक्षरसः पालन।
सिखाना सीखना अासान।
शैतान लौकिकता में से बचना कितना मुश्किल।
हमारे पूर्वजों के वानप्रस्त जीवन के
संन्यासी अवस्था में पछताना,
कबीर का दोहा कह रहा है आज भी
आछे दिनपाछे गये ,अब हरी से होत क्या।
अब पछताते होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत।
सहज ग्ञान
कल्पना के घोडे दौडाने पर भी,
करुणामय ईश्वर का बिन कृपा के
रस भरे रास भरे अर्थ भरे
अलंकार भरे शब्द उतरना
उन का ही वरदान।
हर कोई अपनी चाहों को
उन्हीं की कृपा से कर्ता पर
सोचता है अपना बुद्धिबल।
वास्तव में सहज क्रिया से
बनता है श्रेष्ठ।
प्रयत्न की सफलता ।
प्रयत्न -परिश्रम में उनका ही साथ है।
मन -तन-धन की स्वस्थता
सर्वेश्वर की देन -मान!
मैं अध्यापक मैरी वैयाकरण की पढाई
चाहते हैं छात्र। पर कविता कितना ही प्रयत्न
न सुरीली आवाद। न रस - न मोहक।
राग हो जाता बेराग।
पढता तो पद्य बन जाता गद्य ।
प्रयत्न में सफलता है हद तक।
सहज ग्ञान प्राकृतिक।
प्रयत्न ग्ञान बनाव शृंगार ।