भगवान के नाम स्मरण मात्र काफी है या लम्बी कीर्तामाला की जरूरत है या मौन प्रार्थना पर्याप्त है?
ईश्वर -दर्शन क्यों सब के सब कर नहीं सकते?संतों में कौनसी शक्ति है ,जिसके बल पर वे लाखों भक्तों को अपने इशारे पर ईश्वर प्रेम के पाश में बाँध लेते हैं?
मैं पुट्टपर्ती गया तो वहाँ स्वामीजी के दर्शन के लिए आयी भीड़ कितनी शान्ति से क़तर पर बीतते थी?भजन और दर्शन के बाद कितना अनुशासन दिखाई ?यह तो बड़े आश्चर्य और चमत्कारमय दृश्य था। वैसी ही संस्कार और अन्य भक्ति के दूरदर्शन में चाहें पूज्य श्री रविशंकर बाबाजी का हो या पूज्य श्री बाबा रामदेवजी का हो ,
भक्त-मंडली की श्रद्धा -भक्ति और ध्यान-मग्नता जरूर अमानुष शक्ति को दर्शकों के मन में जगाती है।
ऐसे रोमांचक स्वामीजी के बारे में किवदंतियाँ फैलाना उनके पास जमें अतुल संपत्ति के कारण भी हो सकता है।
कई स्वामीजियों का लापता के कारण सब पर शंका होना और प्रसिद्ध स्वामीजी के मठों में धन का महत्व देना
स्वमिजियीं पर कलंक लगाता ही है।फिर भी उनकी अमानुष शक्ति के कारण सर अनायास ही श्रद्धा भक्ति से झुकता ही है। यह बी सर्व -शक्तिमान की लीला है।
ईश्वर -दर्शन क्यों सब के सब कर नहीं सकते?संतों में कौनसी शक्ति है ,जिसके बल पर वे लाखों भक्तों को अपने इशारे पर ईश्वर प्रेम के पाश में बाँध लेते हैं?
मैं पुट्टपर्ती गया तो वहाँ स्वामीजी के दर्शन के लिए आयी भीड़ कितनी शान्ति से क़तर पर बीतते थी?भजन और दर्शन के बाद कितना अनुशासन दिखाई ?यह तो बड़े आश्चर्य और चमत्कारमय दृश्य था। वैसी ही संस्कार और अन्य भक्ति के दूरदर्शन में चाहें पूज्य श्री रविशंकर बाबाजी का हो या पूज्य श्री बाबा रामदेवजी का हो ,
भक्त-मंडली की श्रद्धा -भक्ति और ध्यान-मग्नता जरूर अमानुष शक्ति को दर्शकों के मन में जगाती है।
ऐसे रोमांचक स्वामीजी के बारे में किवदंतियाँ फैलाना उनके पास जमें अतुल संपत्ति के कारण भी हो सकता है।
कई स्वामीजियों का लापता के कारण सब पर शंका होना और प्रसिद्ध स्वामीजी के मठों में धन का महत्व देना
स्वमिजियीं पर कलंक लगाता ही है।फिर भी उनकी अमानुष शक्ति के कारण सर अनायास ही श्रद्धा भक्ति से झुकता ही है। यह बी सर्व -शक्तिमान की लीला है।